संजय के व्यंग्य लेखों को पढ़कर लगता है कि उन्होंने शनैश्चर की वक्र दृष्टि से सारी दुनिया देखी है। सभी क्षेत्र उनकी लेखनी के दायरे में हैं। मार्क ट्वेन जैसी तीव्र कटाक्ष शक्ति एवं सूक्ष्म निरीक्षण उनकी सफलता के कारण हैं। संस्कृत के काव्य शास्त्रियों के लिए भी उनका साहित्य पुन: रस विचार करने के लिए बाध्य करता है। मैं प्रसन्नता के साथ घोषित करता हूं, उनका नाम भारत के श्रेष्ठ हास्य व्यंग्यकारों में सम्मिलित है।- डॉ. हर्ष देव माधवप्रख्यात संस्कृत मनीषी एवं गुजराती कवि
Dr. Harsh Dev Madhav