संजय झाला जिस मंच पर भी रहते हैं,वहां अपनी कविताओं से मचा देते हैं धमाल।उनकी कविताएं सुनकर बरबस ही श्रोतादेने लगते हैं तालियों की ताल,क्योंकि उनका कहना भी कमाल, शैली भी कमालऔर प्रस्तुति करण भी कमाल।- डॉ. अशोक चक्रधरDr. Ashok Chakradhar