'भ्रष्ट सत्यम् जगत मिथ्या' के व्यंग्य लेख पढ़कर ही मैंने विश्वास के साथ कह दिया था कि नई पीढ़ी के चर्चित व्यंग्यकारों की कतार में एक सशक्त एवं सुपठित रचनाकार की हैसियत से प्रिय संजय झाला ने अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज़ कर दी है। इनकी प्रत्येक रचना में हास्य-व्यंग्य का जो सहज तथा विरल विस्फोट हुआ है, वह यक़ीनन क़ाबिले ग़ौर है। वास्तव में चचा गालिब की तरह इनका अंदाज़े-बयां और है...- स्व. अल्हड़ बीकानेरी
Late Alhad Bikaneri