मैंने लेखन के प्रति संजय की लगन व समर्पण को देखा है, उसमें सीखने की ललक को देखा है। उसने हिन्दी मंच पर कविताओं में नाट्य-प्रयोग से जहाँ नई रोशनी दी है, वहीं अपने गद्य-व्यंग्य लेखन से साहित्यिक क्षेत्र में भी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज़ कराई है। मंच और साहित्य के क्षेत्र में अपने निराले कहन से सराहे जाने वाले बहुत कम कवि हैं; संजय उनमें से एक हैं।- जैमिनी हरियाणवी
Gemini Haryanvi