'प्रेम' अइसे तो किसिम-किसिम का होता है, वईसे तीन किसिम का होता है।
पहला इच - सोमवार को हम मिले मंगलवार को 'नैन' टाइप।
दूसरा इच - चलती है क्या नौ से बारा या आती क्या खण्डाला टाइप।
तीसरा इच- हटा सावन की घटा टाइप। (यह स्थिति अपने समस्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद की है)
प्रेमी दो प्रकार के होते हैं। एक पार्टटाइम अर्थात् अंशकालिक, एक फुलटाइम अर्थात् पूर्णकालिक। फुलटाइम जैसे लैला-मजनूँ, शीरी-फरहाद, हीर-रांझा आदि-आदि। पूर्णकालिक प्रेमियों की प्रजाति अब लुप्तप्रायः हो गई है।
प्रेम एक विशुद्ध पार्टटाइम जॉब है। प्रेम में गिफ्ट का बड़ा महत्त्व होता है। पार्टटाइम बेसिस एक स्मार्ट प्रेमी राजा दुष्यन्त की तरह नहीं होता, जो अपने पास एक ही अंगूठी रखता है और वो भी शकुन्तला को दे देता है।
स्मार्ट दुष्यन्त एक नहीं, ऐसी पाँच-सात अंगूठियाँ बनवाते हैं, जिनमें से एक तो शकुन्तला को, वैसी ही विमला को, वैसी ही कमला को और वैसी ही शर्मिला को देते हैं। जो स्मार्ट होते हैं, वो शकुन्तला को गर्भवती बनाकर अंगूठी गायब करा देते हैं, बाद में अंगूठा दिखा देते हैं।
स्मार्ट प्रेमी रिस्क कवर नहीं करते। सच्चा प्रेमी सफल क़ातिल की तरह होता है, जो मर्डर के बाद सबूत तक नहीं छोड़ता।
प्रेम में असफल होने पर लड़कियाँ नर्स हो जाती हैं, अथवा बी.एड. कर लेती हैं और लड़के वीर रस के कवि।
शादी के पहले प्रेम पत्र भर्तृहरि के शृंगार शतक के 17वें श्लोक की तरह मादक और उन्मादक लगते हैं, लेकिन शादी के बाद वो ही प्रेम-पत्र कांग्रेस का घोषणा-पत्र लगते हैं।
प्रेम के मामले में कवियों की पसन्द नितान्त घटिया एवं गरीबी की रेखा से नीची वाली रही है। महाकवि कालिदास की प्रेमिका एक वेश्या थी, चंडीदास की धोबिन, कुछ कवियों को मौका लगने पर 'कामवाली बाई' भी रही है। कुछ ऐसे धुरन्धर कवि भी हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के अतिरिक्त समस्त स्त्री जाति में अपनी रुचि दिखाई।
प्रेमी अगर प्रेम में सफल रहता है तो प्रेमिका के घर बारात लेकर जाता है और असफल रहता है तो भात लेकर जाता है।
माँ-बाप-भाई आदि, आदिकाल से प्रेमियों के लिए प्रेम चोपड़ा (विलेन) रहे हैं औऱ पुलिस और पड़ोसी गुलशन ग्रोवर।
संसार के टॉप मोस्ट इंटेलिजेंट प्रेमी वो हैं, जो जिससे प्यार करते हैं उससे शादी कभी नहीं करते और जिससे शादी करते हैं, उससे प्यार...........।
(सब टीवी के 'वाह-वाह' कार्यक्रम में अनेक बार प्रसारित)